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Trilok Chand Jain

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@ trilok-chand-jain
, Rajasthan

Working Editor of Swadhyay Shiksha Magazine. Jainism teacher. Running Ph.D in Jain Jeevan Paddhati ki Vartman yug me Pransangikata

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My Articles

गुलाब तो गुलाब होता है खूबसूरत और लाजवाब होता है हर पत्ती की खुशबू जहन में एहसास सुन्दर कराती बखूबी से निराश मन को भी महकाती खिलता कम� read more >>
जो मैं हूं बस वही दिखूं जो मैं नहीं हूं वह मैं नहीं दिखाऊं यही पारदर्शिता मुझे भा जाए तो मेरा भी जीवन आदर्श बन जाए read more >>
अहसास जताने का प्रयास असंभव को संभव बनाने जैसा हास अशब्द को अक्षर निराकार को आकार पर कभी इसका भी आनंद अलग मही पर रह, देखता नहीं क्या फ read more >>
समस्याओं ने आने का हुजूम लगा रखा है पर मैंने भी तो सुलझाने का जुनून जगा रखा है आओ, आ जाओ मुझसा मेहरबां कोई नहीं होगा तुम पर ये मेरा एहस� read more >>
चेतावनी दे रहा ये दिन अब तो जागो रे चेतन।। बचपन में बड़े होने की चाह बढ़ना चाहा था अथाह, समय ने पलटा खाया, अब फिर बचपने का मन। चेतावनी � read more >>
आग तो भीतर में होनी ही चाहिए मातृभूमि के गुरूर की जोश और जुनून की उसमें ही नहीं, तुझमें भी तुझमें ही नहीं, मुझमें भी ये ही तो आग है जो स� read more >>
पराक्रम दिवस है आज पराक्रमी की याद में, सारे शब्द बोने हैं तेरी महिमा के नाद में। ग्यारह बार जेल गए थे, फिर भी आजाद हिंद फौज के नेता थे� read more >>
गहरी अंधेरी रात के बाद, सुहानी भोर आती है जेष्ठ की तपिश के बाद, घटाएं घनघोर छाती हैं 'यह भी नहीं रहेगा' का भाव, दुःख का दुःख भुलाता है तू� read more >>
कुछ संकल्प नया, कुछ प्रकल्प नया तब अफसोस न होगा कि एक साल गया बीते साल कि कुछ गलतियां, या कुछ गलतफहमियां भुला दूं भीतर में जमीं वहमिया read more >>
वक्त यूं ही गुजर रहा कुछ पता ही नहीं चल रहा ज़िन्दगी जी रहे हैं या ढ़ो रहे हैं जाग रहें हैं या खुली आंखों से सो रहे हैं कुछ पा भी रहे हैं read more >>
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