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Vishakha Sharma

Vishakha Sharma

Vishakha Sharma

@ vishakha-sharma
, Uttar Pradesh

मैं अपने जख्मों पर भी मुस्कुराना चाहती हूं, मैं जैसी हूं वैसी ही रहना चाहती हूं, सुना है कमजोर को और दर्द देती है, ये दुनिया, इसलिए मैं खुद को , मजबूत बनाना चाहती हूं।

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My Articles

टूटना क्या होता है, ये उससे पूछो, जो घर की चार दीवारो तक ही सिमट जाती है। उड़ान उसे भी भरनी थी, लेकिन वो परिवार, बच्चे, घर, इनमें ही उलझ कर read more >>
परखना है खुद को तुझे, तो खुद की तलाश में जुट, पाना है अपने आपको अगर, तो अंधियारे में रोशनी बन उठ, करने है ना सपने पूरे सभी, करने हैं ना सपन read more >>
होली का हर रंग फीका है, श्याम तेरे प्यार के आगे, तो हर रोज रंग जाती हूं, सांवरे तेरे प्यार के रंग में। read more >>
कभी चाय में चीनी सब्जी में नमक भूले जा रही हूं मैं यूँही बेवजह गुनगुनाए जा रही हूं मैं ये कैसा इश्क है तेरा जो उदासी में भी मुस्कुरा read more >>
क्या मांगू उस खुदा से तेरे अलावा बस मेरी हर खुशी तुमसे जुड़ जाए और चाहत तो मेरी इतनी सी है बस ना मरू तुझसे पहले और ना जियु तेरे बाद बस म read more >>
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