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दिवानगी की एक हद थी,

Samar Singh 03 May 2023 गीत दुःखद जिसे चाहा तो दिवानगी की हद तक और जीवन का एक लक्ष्य बस उन्हें अपना बनाना, पर देखे किस्मत को क्या मंजूर होता है। 5465 0 Hindi :: हिंदी

दिवानगी की एक हद थी, 
उन्हें अपना बनाने की एक मकसद थी। 

अपने साथ कैद परछाई से, 
एक बार आजाद होकर के देखो। 
किसी बेगाने के पीछे, 
एक बार बरबाद होकर के देखो।। 
उसकी मुहब्बत मेरी जिंदगी की सरहद थी, 
उन्हें अपना बनाने की एक मकसद थी।। 

क्या करूँ उन्हें पाने की हर तड़प से, 
टूट कर गए बिखर- बिखर। 
क्या कहूँ सुनकर सारे शख्स, 
रह गए सिहर- सिहर।। 
उनकी नजर पड़े तो लगे मीठी शहद थी, 
उन्हें अपना बनाने की एक मकसद थी।। 

एक तस्वीर है कि उनकी, 
आँखों से हटती नहीं। 
एक तकदीर है मेरी ऐसी, 
मिटाने से भी मिटती नहीं।
तेरी चाहत की जड़े फैली, जैसे बरगद थी, 
उन्हें अपना बनाने की एक मकसद थी।। 

ये सारे गुस्ताख बादल हैं, 
कि बरस- बरस जाते हैं। 
उनकी याद है दिल में लेकिन, 
आँखें देखने को तरस- तरस जाती हैं।
जिंदगी मेरी मौत के तहद थी, 
उन्हें अपना बनाने की एक मकसद थी।। 

रचनाकार- समर सिंह "समीर G"

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