संदीप कुमार सिंह 12 Jun 2023 गीत समाजिक मेरा यह गीत समाज हित में है। जिसे पढ़कर पाठक गण काफी लाभान्वित होंगें। 4849 0 Hindi :: हिंदी
कल किसने देखा यहां, जी लें खिल कर आज। मचल रही है वादियाँ,दामन में रख लाज।। कल किसने देखा यहां,वर्तमान पर नाज। हंसते गाते रह यहां, और करें सब काज।। कल किसने देखा यहां,आओ गाएं गीत। मधुर मधुर अल्फाज से,बड़ों बड़ों को जीत।। कल किसने देखा यहां, करें बचत कुछ माल। लाचारी में काम दे,रहें बने खुशहाल।। कल किसने देखा यहां, रखें आरजू खूब। त्याग चलें आराम को,अपने श्रम में डूब।। (स्वराचित मौलिक) संदीप कुमार सिंह✍️ जिला:_समस्तीपुर(देवड़ा) बिहार
I am a writer and social worker.Poems are most likeble for me....