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चाहत का दरख़्त-दरख़्त सूख गए एक उम्मीद लिए

Samar Singh 02 Jun 2023 गीत दुःखद किसी की चाहत में इंतजार करना और उसका न आना। हर इंतजार मालूम होता है मुरझा गयी हो। 4834 0 Hindi :: हिंदी

दरख़्त सूख गए एक उम्मीद लिए, 
न सावन आया न हुई बरसात। 
काले- काले बादल छाए घटा बनके, 
हवा के झोंकों से उड़ गए, रह गई अंधेरी रात।। 

पत्ते सूख के काँटे बन गए, 
सूख गयी हरी- हरी डाली । 
जलते- जलते बुझ गयी शमां, 
रह गया दीपक खाली।। 
आ जा रे! हवा लेके बहार, 
बदल दे बिरानी कायनात। 
दरख़्त सूख गए एक उम्मीद लिए, 
न सावन आया, न हुई बरसात। 

जहाँ बहती थी खुशबू पवन की, 
आज उड़ती है रेत। 
हरे - भरे मैदान सूख गए,
बंजर हो गए खेत। 
उम्मीद का दामन छूटे न, 
ऐ! मेरे दाता तरस खा, देख के हालात। 
दरख़्त सूख गए एक उम्मीद लिए, 
न सावन आया, न हुई बरसात।। 

रचनाकार - समर सिंह " समीर G "

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