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जिंदगी एक पत्थर जैसी बन गई है

Aarti Ramesh Honale 16 May 2023 गीत दुःखद Bekar 5475 0 Hindi :: हिंदी

ऐसे बैठे हैं जैसे बेकार है
कुछ ना काम है ना कोई पहचान है

बैठे-बैठे ना दिन कटता है
सोए सोए भी तो इंसान कितना सोता है
जिंदगी एक पत्थर जैसी बन गई है
जीने में ना कोई मजा है

हमसे ज्यादा अच्छा तो वह कुत्ता है
तो फिर फिर के कम से कम रोटी तो कमाता है
बैठे-बैठे आराम से मुफ्त की रोटियां मोड़ते हैं
किसी के ऊपर बोझ बनते हैं
ना किसी का सहारा बन पाते हैं
किसी की खुशी से बुरा लगवाते हैं
क्यों हम भी कुछ ना कर पाते हैं

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