संदीप कुमार सिंह 29 May 2023 गीत समाजिक मेरा यह गीत समाज हित में है। जिस पढ़कर पाठक गण काफी लाभान्वित होंगें। 5863 0 Hindi :: हिंदी
जो बोया सो काट ले, होना नहीं निराश। कर ले अथक प्रयास से,खुद के लिए प्रकाश।। जो बोया सो काट ले,और रहें तैयार। साथ वक्त के जो चले,दुनिया करती प्यार।। जो बोया सो काट ले,अनुभव को रख पास। फिर से ज्यादा धन लगा,पूरी कर सब आस।। जो बोया सो काट ले,अब ले ले कुछ सीख। अच्छा बोने से रहे,अदभुत सब तारीख।। जो बोया सो काट ले,खुद को खुद से पूछ। नए काम फिर से दिखा,हो जग कभी न छूछ।। (स्वरचित मौलिक) संदीप कुमार सिंह✍️ जिला:_समस्तीपुर(देवड़ा) बिहार
I am a writer and social worker.Poems are most likeble for me....