Samar Singh 31 May 2023 गीत धार्मिक कृष्ण जी राधा की याद में कभी बृंदावन में घूम रहे है तो कभी यमुना तट पर बैठे है और वंशी में राधा को बुला रहे है। 6525 0 Hindi :: हिंदी
कभी कान्हा भी रोये थे, घूमते हुए वृंदावन में खोये थे। बैठा करते थे यमुना के तट, दिल में रहती थी एक रट, । किया है तुमने जो वादा, आके निभाओ वो राधा। हरपल याद में सोये थे, कभी कान्हा भी रोये थे। वंशी की धुन को राधा ही समझे, प्रीत की नगरी में कितने ही उलझे। बड़े अजीब होते है प्रेम के दीवाने, विष के प्याले का स्वाद मीरा ही जाने। रे! कान्हा तेरी कैसी है लीला, कितने भक्तों को तेरा दर्शन मिला। सपने अधूरे रह गए जो संजोये थे, कभी कान्हा भी रोये थे।। रचनाकार - समर सिंह " समीर G "