Poonam Mishra 23 Aug 2023 गीत समाजिक मां को ऐसा लगता है 9075 0 Hindi :: हिंदी
कभी-कभी न जाने क्यों ? मन को ऐसा लगता है । चांद की शीतल जैसा प्यार तुम्हारा । और सागर की जल सा खारा है। जीवन के इस सुने पल में न जाने क्यों ? कभी-कभी तुम छुप छुप कर मिलने आ जाती हो। जैसे कोई जुगनू चमके जीवन के इस अंधियारे पल में जब जब शाम ढलती है मैं देखूं चांद सितारे न जाने क्यों ? कभी-कभी दिल यह कहता है तुम तो चांद से प्यारे! न जाने क्यों ? कुछ पल रुक कर मैं सोचूं तुमको हर पल ! कुछ यादें मुझे परेशान करती है क्या ? यह यादें कर देगी मुझको पागल। रजनीगंधा के फूलों से महके प्यार तुम्हारा । कभी-कभी मुझे ऐसा लगता है मेरा संसार तुम्हारा स्वरचित लेखिका पूनम मिश्रा