KRESH KUMAR AHIRWAR 26 Apr 2023 आलेख धार्मिक देवता हमारी समस्याओं के समाधान करने के बदले खुद ही समस्या बन जायें, 7045 0 Hindi :: हिंदी
जब धर्म, धार्मिक प्रतीक, मंदिर,मस्जिद, भगवान और देवता हमारी समस्याओं के समाधान करने के बदले खुद ही समस्या बन जायें, तो ऐसे धर्म और धार्मिक प्रतीकों, धार्मिक स्थलों और भगवानों को लात मार देनी चाहिए अपनी वर्तमान बदहाल और तंगहाल परिस्थितियों से ऊबा व्यक्ति धर्म, भगवान, देवी-देवता और पुराण कथाओं में शांति की तलाश करता है। पहले भगवान धरती पर दुष्ट पापियों को खुद जन्म देता था, फिर उनकों नष्ट करने के लिए खुद अवतार लेता था, इसी को मूर्खता और अंधभक्ति कहते हैं। अज्ञानता से भय पैदा होता है, भय से अंधविश्वास पैदा होता है, अंधविश्वास से अंधभक्ति पैदा होती है, अंधभक्ति से व्यक्ति का विवेक शून्य हो जाता है, और जिसका विवेक शून्य हो जाता है वह गुलाम होता है। मनुष्य-मनुष्य में भेद करने वाली नीति ब्राह्मणवाद, जानबूझ कर सामाजिक, आर्थिक भेदभाव करने वाली संस्कृति भी सदैव नहीं टिकी रह सकती, ये लोकतंत्र के लिए घातक है। विद्या की देवी होते हुए भी 1845 तक कोई महिला शिक्षित नही थी, ऐसा क्यों🤔 सोचिए.. माँ, दादी, नानी, परदादी अनपढ़ क्यो थी🤔 ईश्वर, अज्ञानता, बेबसी और निराशा की मूर्खतापूर्ण उत्पाद है, जो अंततः हमें गुलामी की जंजीरों में बंधने के लिए मजबूर कर देता है.🤔 सभी धर्म और धार्मिक किताबें मनुष्य द्वारा निर्मित हैं और वह उन्हीं तबकों के हित साधन की बात करती हैं, जो इसके माध्यम से अपने हित की पूर्ति चाहते हैं, अपने वक्त में महात्मा फुले ऐसे एकमात्र समाजशास्त्री और मानवतावादी थे, जो ऐसे साहसी विचारों को रख सकते थे🤔 विद्यार्थी अब बच्चे पैदा करने के थाई नुस्खे खीर खाकर, आंसू पीकर, ब्रम्हा के मुख से, जांघ से ,पैर से पैदा होने को जल्द ही मानने लग जाएंगे🤔