RAJESH KUMAR PAL 09 Apr 2023 गीत दुःखद 6848 0 Hindi :: हिंदी
जीवन की अभिलाषा में, एक नये ज्योति की आशा में; हम सबको दिया दिखा डाला, इस जीवन की परिभाषा ने, कुछ तो दर्द हुआ होगा,जब कलियाँ अंकुलायी होंगी; एक पीर पराई क्या जाने, सदियाँ व्यकुलायी होंगी; तेरे कर्म तेरे अपने होंगे, हर मर्म तेरे अपने होंगे; आँखों में जो स्वप्न जगा, साकार सभी सपने होंगे, एक लक्ष्य लिया है तुमने जो, अपने घर के इक कोने से; निखर रही हैं आवाज़ें, कुछ रखा नहीं अब सोने में, धरा पड़ी है मौन खड़ी, कुछ हुआ न होगा रोने से; उर्मिला की व्यथित वेदना, समय है सीता होने में, गुरु द्रोण दोन में बड़े हुए, भीष्म पितामह सैय्या पे; माँ कुंती कर्ण को दे न सकी, एक जीवन कटी है नैया पे, हम खड़े हैं सम्मुख जिनके भी, ये नहीं हमारा अभिनय है; तुम अपनी शरण में ले लो माँ बस, यही हमारा सविनय है। …. राजेश कुमार पाल
Academical Qualification- Graduate in English Literature, Post Graduate Diploma in Computer Applicat...