संदीप कुमार सिंह 22 May 2023 गीत समाजिक मेरा यह गीत समाज हित में है। जिसे पढ़कर पाठक गण काफी लाभान्वित होंगें। 7475 0 Hindi :: हिंदी
मुश्किल बनी दरार है,जोशी मठ में आज। दूभर अब हालात है, बाधित है हर काज।। मुश्किल बनी दरार है,आई आफत खास। जीवन हुआ तबाह है,रखें सभी हैं आस।। मुश्किल बनी दरार है, टूट गई मठ ज्योति। त्राहि त्राहि जनता करे,बुरी दशा सम कोति।। मुश्किल बनी दरार है,सज्जन करे बचाव। मानवता है सामने,दिल से करें जुड़ाव।। मुश्किल बनी दरार है,राहत की दरकार। वक्त बुरा अब खत्म हो,करिए यही पुकार।। (स्वरचित मौलिक) (विषेश:_कोति मतलब दिशा।) संदीप कुमार सिंह✍🏼 जिला:_समस्तीपुर(देवड़ा) बिहार
I am a writer and social worker.Poems are most likeble for me....