Samar Singh 25 Jun 2023 गीत प्यार-महोब्बत ऐसा लगता है जैसे मेरा इश्क कोर्ट पहुँच गया है और तू ही जज है, अब मैं क्या करूँ। 3650 0 Hindi :: हिंदी
तेरी मुहब्बत के मुकदमे का, मैं ही हूँ वो मुजरिम। तेरे दिल के कोर्ट का, मैं ही हूँ वो आशिक जालिम।। दिल में ऑर्डर- ऑर्डर मची है, ना कर अब और जलील। तू ही मेरी वकील, तू ही जज, किससे करूँ मैं अपील।। तू सावन की घटा, मैं ही हूँ वो बूँद रिमझिम। तेरी मुहब्बत के मुकदमे का, मैं ही हूँ वो मुजरिम।। कब तक इस केश को खारिज किया जायेगा, सुनवाई तो कर दो, गया हूँ बौखला। बाइज्जत बरी कर दो मेरे मुहब्बत को, या देकर दिलासा बढ़ा दो हौसला।। तू पूर्णिमा की चाँद हो, मैं हूँ वो तारा टिमटिम। तेरी मुहब्बत के मुकदमे का, मैं ही हूँ वो मुजरिम।। रचनाकार- समर सिंह " समीर G "