संदीप कुमार सिंह 31 May 2023 गीत समाजिक मेरा यह गीत समाज हित में है। जिसे पढ़कर पाठक गण काफी लाभान्वित होंगें। 3831 0 Hindi :: हिंदी
नयनों की सीमा रहे,मिले खुदबखुद प्यार। करते तब इजहार भी,फिर होता स्वीकार।। नयनों की सीमा रहे,दिल में रहे पुकार। नयन करे संकेत जब,लगे खुशी संसार।। नयनों की सीमा रहे,लब पर हो मधु बोल। इच्छा सब तब पूर्ण हो,मिले खुशी तब गोल।। नयनों की सीमा रहे,रहे नयन में नीर। सुनते देव पुकार को,रहें बने दृढ़ धीर।। नयनों की सीमा रहे,गुण मय हो यदि हाथ। खुशियाँ रहती साथ तब,चूमे जन सब माथ।। (स्वरचित मौलिक) संदीप कुमार सिंह✍🏼 जिला:_समस्तीपुर(देवड़ा) बिहार
I am a writer and social worker.Poems are most likeble for me....