संदीप कुमार सिंह 05 Aug 2023 शायरी प्यार-महोब्बत मेरी यह शायरी समाज हित में है। जिसे पढ़कर पाठक गण काफी रोमांचित होंगें। 6877 5 5 Hindi :: हिंदी
(शायरी) रेल का वह सफ़र आज भी याद आ रहा है, सामने मेरे चाँदनी जैसी एक महिला बैठी थी। वह मुस्काई फिर शबनमी होठों से कुछ कही, यार सफ़र में कोई अजनबी नहीं होता है। (स्वरचित मौलिक) संदीप कुमार सिंह✍️ जिला:_समस्तीपुर(देवड़ा)बिहार
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I am a writer and social worker.Poems are most likeble for me....