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पहाड़ ही चोरी हो गया -चार राज्यों की सीमाओं में

Ritin Kumar 21 Jun 2023 आलेख अन्य #रितिन_पुंडीर #इतिहास 6540 0 Hindi :: हिंदी

चार राज्यों की सीमाओं में किया गया अध्ययन बताता है कि 1975 और 2019 के बीच अरावली पहाड़ियों का लगभग 8 प्रतिशत हिस्सा गायब हो गया है। यदि विस्फोटक शहरीकरण और खनन वर्तमान गति से जारी रहे तो 2059 तक 22% पहाड़ियों का हिस्सा गायब होने का अनुमान है। शोधकर्ताओं के अनुसार दिल्ली-एनसीआर में इसका प्रभाव और नुकसान होगा। अध्ययन का अनुमान है कि अरावली यहां सबसे अधिक असुरक्षित हैं। जैसे-जैसे और पहाड़ियां चपटी होती जाएंगी, वे थार रेगिस्तान के लिए राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र की ओर बढ़ने के लिए एक 'प्रवेश द्वार' खोलेंगे। जिससे प्रदूषण बढ़ेगा और मौसम में बदलाव देखने को मिलेगा। अरावली को हो रहे नुकसान की वजह से राजस्थान में धूल भरे तूफानों में इजाफा हुआ है। इन तूफानों का असर दिल्ली-एनसीआर तक पड़ रहा है।

अरावली कुल 2,269 पहाड़ियां बनाती हैं जो राजस्थान और हरियाणा के रास्ते गुजरात से दिल्ली तक फैली हुई हैं। थार मरुस्थल के विस्तार के लिए पर्वतमाला की पहाड़ियां और जंगल प्राकृतिक बाधाएं हैं। दशकों से पत्थरों और रेत के लिए अनियंत्रित खनन अरावली को नुकसान की दर में तेजी ला रहा है। अक्टूबर 2018 में, सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त एक केंद्रीय अधिकार प्राप्त समिति ने जस्टिस मदन बी लोकुर और दीपक गुप्ता की पीठ को सूचित किया कि राजस्थान में अरावली पर्वतमाला का एक-चौथाई हिस्सा से अधिक गायब हो गया था।


-रितिन पुंडीर ✍️

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