Samar Singh 29 May 2023 गीत दुःखद दिल में जो था बसा, वो छोड़कर चला गया, जाते जाते बदनाम भी कर गया। 6011 0 Hindi :: हिंदी
मेरे दिल का कत्लेआम हो गया, खुले बाजार में बदनाम हो गया। दिल है टूटा ऐसा,ढूँढता हूँ अकेला, दिल में मची है गदर, छाया है गम का मेला, दिल हुआ ऐसे बह चला जैसे पानी का रेला, आज किस्मत ने मेरे साथ कैसा खेल खेला, सभी ने आगे से मिलके पीछे ढकेला। जीने मरने का अब ये काम हो गया, मेरे दिल का कत्लेआम हो गया। सुहानी सी थी एक डगर, हँसती थी मेरी शाम सहर, आया ऐसा गम का लहर, लुट गया इश्क का नगर, लगी हमकों किसकी नजर, आँखों को आँसू बहाने में आराम हो गया, मेरे दिल का कत्लेआम हो गया। कभी सूरज चमकता था, कभी चाँद चमकता था, रात में तारे चमकते, मेरे दिल का जुगनू चमकता था, मेरे खाबों में हरदम, एक चेहरा दमकता था, अब तो मेरी सूनी आँखों में, झिलमिलाती एक तस्वीर बसती है। एक कहानी गम की हरदम, अब तो मेरे दिल में रहती है। ये सारी जिंदगी मेरी अब तेरे नाम हो गया, मेरे दिल का कत्लेआम हो गया। रचनाकार - समर सिंह " समीर G "