संदीप कुमार सिंह 29 May 2023 आलेख समाजिक मेरा यह आलेख समाज हित में है। जिसे पढ़कर पाठक गण काफी लाभान्वित होंगे।। 6160 0 Hindi :: हिंदी
शादी के विषय में कहा जाता है की शादी एक ऐसा लड्डू है जो खाए वो पछताते हैं और जो नहीं खाए वो ललचाते हैं। मतलब बहुत ही रहस्मय बात इसमें छिपी हुई है। और एक दूसरी कहावत है:_बेगानों की शादी में अब्दुल्ला दीवाना। तो इन बातों से मतलब यहां यह निकालना है कि शादी का नाम आते ही एक अनजान खुशी की लहर लोगों में प्रवाहित होने लगती है।और बहुत ही एकता भी लोगों में देखने को मिलती है। अपने_अपने औकात के हिसाब से लोग खर्च भी दिल खोल कर करते हैं। तथा अपने आर्थिक शक्ति का परिचय भी देते हैं। समाज में इस बात की चर्चा ऐसे होती है फलाने ने दिल खोल कर खर्चा किए तो फलाने ने कंजूसी कर दी। खर्च करने वाले महाशय यह सुनकर बहुत खुश होते हैं एवम् आत्मिक संतुष्टि भी प्राप्त करते हैं। शादी की महफिल भी बहुत ही आकर्षक होती है। तरह _तरह के साधनों से मंडप को सजाया जाता है। महफ़िल में एक गजब की खुशियाँ भरी चमक_दमक देखने को मिलती है। सारे लोग कीमती वस्त्रों में सजे हुए शादी की महफ़िल का लुफ्त उठाते हैं। तरह_तरह के व्यंजनों की व्यवस्था रहती है। लोग खाते_खाते अघा जाते हैं। और सभी नव बंधन में बंधने वाले लड़का_लड़की के लिए उनके सुन्दर जीवन के लिए दुआ अर्पित करते हैं। कहीं_कहीं परंपराओं के विपरीत भी दूसरे ढंग से भी शादी होती है। खैर ढंग जो भी हो शादी करने की लेकिन खुशी की लहर एक जैसी ही होती है। अब यथार्थ सत्य के तरफ आते हैं, शादी ही वह बंधन है या शादी समाज की एक स्वच्छ आधारशिला है। जिसके फलस्वरूप एक सभ्य समाज का निर्माण होता है। एक परिवार का निर्माण होता है। फिर उनके बच्ची फिर बच्चों के बच्चे। इस तरह शादी करने का ढंग जो भी हो लेकिन वास्तव में शादी एक महोत्सव ही होती है। (स्वरचित मौलिक) संदीप कुमार सिंह✍️ जिला:_समस्तीपुर(देवड़ा) बिहार
I am a writer and social worker.Poems are most likeble for me....