Poonam Mishra 22 Nov 2023 गीत समाजिक जब हम जिंदगी की दूसरी शुरुआत करते हैं 9662 1 5 Hindi :: हिंदी
कुछ बीस बसंत के बाद जीवन के दूसरे सफर की शुरुआत कुछ इस तरह से की मैंने मैं अपना घर छोड़कर किसी दूसरे के घर चल पड़ी नए घर में नए-नए रंग-बिरंगे लोगों ने मेरा स्वागत किया मेरा कुछ ने हंस कर तो कुछ ने मुझ में कमियां निकाल दी कुछ इस तरह से जीवन के दूसरे सफर की शुरुआत की मैंने नई दुनिया थी ,नए लोग थे, मेरे भी कई सपने थे , न जाने कितने अरमान थे ! इन सब सपनों के साथ मै नए घर में खड़ी थी बहुत सी उलझने थी बहुत से, सवाल थे , फिर भी न जाने क्यों ? मन में इतनी हलचल थी! पर जुबान में एक भी शब्द न था! किसी से कुछ पूछने का ! सोच रही थी ,,,! कैसा है यह घर? कैसे हैं ? यहां के लोग ! तभी एक प्यारी सी आवाज ने मेरे इस सोच में हलचल मचा दी! उन्होंने मुस्कुराते हुए कहा ! यह तुम्हारा घर है !अब तुम इस घर की मालकिन हो 'संभालो अपने घर को "इस घर को तुम्हारा इंतजार था "अब इस घर के साथ-साथ घर का मालिक तुम्हारा ,! मतलब कि मेरा इकलौता बेटा तुम्हारा 'इस बेटे की मां भी तुम्हारी ! संभालो इन सबको : यह सब है तुम्हारे; इस आवाज में न जाने क्या? जादू था एक ही पल में सारी उलझने खत्म कर दी । मैंने मुस्कुरा कर उनके चरण स्पर्श किए उन्होंने मुझे उठाकर गले से लगा लिया और कहा तुम्हारा स्थान मेरे हृदय में है ! अब मैं उस जगह से कैसे अनजान थी ! मैं तो इस समय दो घर की मालकिन थी । ससुराल मुझे मायके सा प्यारा लगने लगा स्वरचित लेखिका पूनम मिश्रा
5 months ago