संदीप कुमार सिंह 30 Mar 2023 गीत समाजिक मेरा यह गीत पाठक लोगों के लिए प्यार भरा पैगाम है। जो आपको रोमांचित भी करेगा और जीवन मे आपका भरपुर साथ भी निभाएगा। 10789 0 Hindi :: हिंदी
बहर:_2122,2122,2122,212 क़ाफिया:_पीर रदीफ:_को मिसरा:_क्या सुधा भी हर सकेगी आज मेरी पीर को मैं चला हूं अब, सजाने फूल से तसवीर को। टाल लूंगा श्रम, कड़ा कर नीच सी तक़दीर को। तुम नगीना हो, खजाने की सजा दी हो मुझे_ खत्म कर दोगी, मजे से यार मेरे पीर को। संदीप कुमार सिंह✍🏼 ज़िला:_समस्तीपुर(देवड़ा)बिहार
I am a writer and social worker.Poems are most likeble for me....