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आज का समाज भाग एक = "बुराई"

शशिकांत सिंह 30 Mar 2023 आलेख समाजिक #Social #motivational #people 14224 0 Hindi :: हिंदी

बुराई दो प्रकार की होती है
एक सामने की जाती है एक पीठ पीछे की जाती है
सामने और सिर्फ आपके सामने की गई आपकी बुराई माली का काम करती है जो अच्छाई और बुराई में से आपकी बुराई को छाट कर आपको और अच्छा इंसान बनाने का प्रयास करती है, किंतु पीठ पीछे की गई बुराई एक लकड़हारे का काम करती है जैसे लकड़हारा किसी विशाल वृक्ष को एक दिन में नही कई दिनो में उसके जड़ में रोज धीरे धीरे चोट पहुंचाता रहता है और एक समय ऐसा आता है की वह पेड़ खुद जमीन पर गिर जाता है, अब पेड़ तो पेड़ है इस लिए कट कर गिर जाता है किंतु इन्सान लोगो की नजरों में गिर जाता है किंतु कुछ धैर्यवान और विशाल व्यक्तित्व वाले लोग जिन्हे महान पुरुष की उपाधि दी गई है जिनको गिरा पाना ना जीते जी संभव हो पाया न उनके मरने के बाद लाख बुराई कर लो वो सुगंध छोड़ते रहेंगे उनसे दुर्गंध नही आयेगी, किंतु कुछ ऐसे भी लोग दुनिया में होते हैं जिनकी थोड़ी सी बुराई कर दो तो दुर्गंध तुरंत छोड़ते हैं और ऐसे ही लोग पूरी ताकत से महान लोगो की बुराई करने में लगे रहते हैं पर उनको कोई फर्क नहीं पड़ता है, समाज में भिन्न भिन्न प्रकार के लोग रहते हैं सबका अपना अपना नजरिया होता है पर ज्यादा तर आज का सामाज उन लोगो से भरा है जो अपने दुख से दुखी और अपने सुख से सुखी होते हैं ऐसे व्यक्ति को बिना किसी हिचकिचाहट के आप स्वार्थी बोल सकते और गैर सामाजिक भी ऐसे लोग जिनको समाज में जीने का कोई हक नही फिर भी वो अपने आप को समाज में सबसे ज्यादा समझदार और बुध्दिमान बताने के लिए निरंतर प्रयास करते रहते हैं और ऐसे लोग अपनी जगह बनाने के लिए दूसरे की बुराई करते रहते हैं पर जिन चार लोग में बैठ कर वह दूसरे की बुराई करते हैं उसके वहा से हटते ही उसकी बुराई शुरू हो जाती है! 

बुराई क्यों करनी पड़ती है किसी की भी?

बुराई का भी अपना एक इतिहास रहा है, यह प्रथा देवताओ के समय से भी  चली आ रही है, देवताओं के राजा इंद्र भी किसी को खुद से बेहतर देख कर उससे भयभीत हो जाया करते थे और उसको गिराने का पूरा प्रयास करते थे, ताकि उनका स्थान बना रहे अपना स्थान बचाने के लिए दूसरे की बुराई करनी पड़ती है और यह कार्य एक घर, मुहल्ले, गांव, शहर से होते हुए पूरे देख विदेश तक इसी फार्मूले का इस्तेमाल होता रहा है क्योंकि बिना किसी की बुराई किए हुए ना तो खुद का खाना हजम होता है और न कल के खाने की व्यवस्था !

क्या महान लोगो की बुराई करने से उनका अस्तित्व कम हो जाता है?

समझने वाली बात यह है की बुराई कौन कर रहा है जब सीधा सीधा इंद्र ही अपने स्थान को बचाने के लिए भगवान की बुराई करने से नही चूकते थे तो आज का मनुष्य किसी महान आदमी की बुराई क्यों नहीं करेगा क्योंकि उसकी दुकान उसी से चल रही, अगर किसी की बुराई करने से उसको फ़ायदा है, उसका स्थान बचा है तो वह भले ही उसका कुछ उखाड़ ( बिगाड़) न पाए किंतु उसकी बुराई वह मरते दम तक करेगा और अपने आप को अपने स्थान को बचाएगा ! 
यह परंपरा तो सदियों से चली  आ रही है, हां वो बात अलग है की बुद्धिजीवी लोग यह बात समझते हैं और उनको किसी की बात में न पड़कर खुद सही गलत का अनुभव कर लेते हैं किंतु मूर्ख व्यक्ति के अन्दर यह खूबी नही होती भले वह कितना भी दिमाग वाला हो |

आज के समाज की नीव झूठ पर टिकी हुई है जो व्यक्ती जितना अच्छा झूठ बोल लेगा उतना सफल होगा पर को बात अलग है झूठ का घर तासो का बना होता है जो हल्के हवा के झोके से गिर जाता है किंतु आज का समाज झूठ पसंद करने वाले लोगो से भी भरा है इसलिए अभी तक चल रहा है, पर इतिहास गवाह है पतन तो भगवान का भी निश्चित है इन्सान किस खेत की मूली है पर दौर सबका होता है , हा पर "महात्मा और बुद्धजीवी" लोग हमेशा से दुनियां में रहे हैं इसलिए भगवान या प्रकृति पृथ्वी को पूर्णतः नष्ट नहीं कर सकती क्योंकि उनकी तपस्या और मेहनत व्यर्थ जायेगी और उनका(बुद्धजीवी)  मानना है की हर किसी को मौका मिलना चाहिए एक बार मूर्ख को भी मूर्खता करने का मौका मिलना चाहिए, फिर महात्मा और बुद्धजीवी तो हैं ही रायता समेटने के लिए!

अंत में एक बात और हर व्यक्ती को सोच समझ कर अपने विवेक से जीने का हक है अगर वह दूसरे के विवेक और बुद्धि से चलेगा तो उसका पतन निश्तिच है, मैं यह नहीं कह रहा की किसी की बात को सुना ही न जाए हमेशा सब की सुन कर सीखना चाहिए पर फैसला स्वविवेक लेना चाहिए, हां पर आपके पास विवेक है या नही ये तो आपको ही पता होगा...!!!

धन्यवाद!

                  शशिकांत सिंह

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