Samar Singh 12 Jul 2023 गीत दुःखद आखिर कब तक उसकी मुहब्बत याद आयेगी, कभी भूलेगा कि नहीं। 6206 0 Hindi :: हिंदी
टूटा दिल फिर मेरा, होगा कब आखिर सबेरा। अंधेरे ही फैले है चारों तरफ, बन गए आँखों के मोती बरफ। होगा कहाँ मुसाफिर बसेरा, टूटा दिल फिर मेरा, होगा कब आखिर सबेरा। दिल की रोशनी बुझ रही है, हर धड़कन यूँ उलझ रही है। अब नहीं होगा दीदार तेरा, टूटा दिल फिर मेरा, होगा कब आखिर सबेरा।। मन उड़ा है डोर संग यूँ, है हवाओं का शोर पतंग यूँ। रोम- रोम तरसे मेरा, जिक्र जो करे दिल तेरी ओर तरंग यूँ। फिर से मेरी रूह पे तेरा डेरा, टूटा दिल फिर मेरा, होगा कब आखिर सबेरा।। रचनाकार- समर सिंह " समीर G "