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बदले बदले लग रहे-रंग भरी यह शाम

संदीप कुमार सिंह 06 Jun 2023 गीत समाजिक मेरा यह गीत समाज हित में है। जिसे पढ़कर पाठक गण काफी लाभान्वित होंगें। 5942 0 Hindi :: हिंदी

बदले बदले लग रहे,मौसम क्यों है आज।
गरमी में कर के मजे,सबको है नव नाज।।

बदले बदले लग रहे,वातावरण मिजाज।
फिर भी दिल को चैन है,हृदय हुआ है बाज।।

बदले बदले लग रहे,रंग भरी यह शाम।
रौनक है बाजार में,जगह जगह है आम।।

बदले बदले लग रहे,अपना ही परिवार।
आमद बढ़िया है हुई,सभी हुए गुलजार।।

बदले बदले लग रहे,अल्हड़ सी यह रात।
तारे भी आकाश में,करते हैं यह बात।।
(स्वरचित मौलिक)
संदीप कुमार सिंह✍️
जिला:_समस्तीपुर(देवड़ा)
बिहार

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