संदीप कुमार सिंह 24 May 2023 गीत समाजिक मेरा यह गीत समाज हित में है। जिसे पढ़कर पाठक गण काफी लाभान्वित होंगें। 4431 0 Hindi :: हिंदी
अधरों तक ही रह गई, दिल की वह मधु बात। करने से पहले वफा, करदी जानम रात।। अधरों तक ही रह गई,हुस्न परी का प्यार। किसी और की हो गई,हम से कर तकरार।। अधरों तक ही रह गई,चमचम ख्वाब हसीन। धोखों से पाला पड़ा,मजा हुआ नमकीन।। अधरों तक ही रह गई,सारे नव जज्बात। नित्य सितम से सामना,छूटे सारे नात।। (स्वरचित मौलिक) संदीप कुमार सिंह✍️ जिला:_समस्तीपुर(देवड़ा) बिहार
I am a writer and social worker.Poems are most likeble for me....