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यादें संजो रहा हूं।

Jitendra Sharma 30 Mar 2023 गीत प्यार-महोब्बत Jitendra Sharma, जीत के गीत। 7650 2 5 Hindi :: हिंदी

सुनहरे पल जो  गुजर गये हैं, उनकी यादें संजो रहा हूं।
आंखों की आदत है भीग जाना, मत समझना के रो रहा हूं।
कमल नयन थी जो आंखे, जाने कैसे यूं तन गई हैं।
काली घटाएं थी जो जुल्फें, अब वो नागिन बन गई है।
घर की रानी बना के उनको, झूठे बर्तन धो रहा हूं।
आंखों की आदत है भीग जाना, मत समझना के रो रहा हूं।

वो सारी मस्ती वो तराने, सभी पुराने याद आ रहे है।
यूं रूठना यूं मनाना, गुजरे जमाने याद आ रहे हैं।
दिल मचल मचल रहा है, पुराने सपनों में खो रहा हूं।
आंखों की आदत है भीग जाना, मत समझना के रो रहा हूं।

Comments & Reviews

Jitendra Sharma
Jitendra Sharma Good

11 months ago

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Raj Ashok
Raj Ashok सत्य

10 months ago

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