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भारतीय लोकतंत्र

संदीप कुमार सिंह 19 Jun 2023 आलेख देश-प्रेम मेरा यह आलेख समाज हित में है। जिसे पढ़कर पाठक गण काफी लाभान्वित होंगें। 4936 0 Hindi :: हिंदी

लोकतंत्र  जनता  का, जनता  के  द्वारा  और  जनता के  लिए   शासन  को  कहते  हैं। इसके मुख्यत:  दो  रूप  हैं:_प्रत्यक्ष  और परोक्ष  लोकतंत्र। फ्रांस  में   प्रत्यक्ष  लोकतंत्र  है  और भारत  में  परोक्ष  लोकतंत्र  है। परोक्ष  या अप्रत्यक्ष  लोकतंत्र  को  प्रतिनिधियात्मक लोकतंत्र  भी  कहते  हैं।

प्रत्यक्ष  लोकतंत्र  में  सभी  नागरिक  बिना  किसी
अधिकारी  की  मध्यस्थता  के  सार्वजनिक निर्णयों  में  स्वयं  भाग  लेते  हैं। यह  पद्धति  केवल   वहीं   व्यवहारिक  है  जहां  लोगों  की संख्या   सीमित  है। जैसे  किसी सामुदायिक संगठन, श्रमिक  संघ  आदि  में  यह  प्रणाली चलते  है। इसमें  सभी  सदस्य  एक  कक्ष  में एकत्र  होकर विभिन्न  मुद्दों  पर चर्चा  करते  हैं  और सर्वसम्मति अथवा  बहुमत  से  निर्णय  लेते हैं।

विशाल  और  जटिल  आधुनिक   समाज  में  प्रत्यक्ष  लोकतंत्र पनपने  की  सम्भावना  कम रहती  है। आजकल सामान्यतः प्रतनिधिक  लोकतंत्र  की  प्रथा  है। इस  प्रणाली  में  सार्वजनिक हित  की  दृष्टि  से  राजनीतिक निर्णय  लेने, कानून  बनाने  और कार्यक्रमों  को  लागू  करने  के लिए  जनता  अपना  प्रतिनिधि चुनती  है। प्रत्येक  नागरिक  को जो 18वर्ष  का  है, उसे  अपने प्रतिनिधि  को  वोट  देने  का अधिकार  है। इसी माध्यम  से पंचायतों, नगर निगम, जिला परिषद्,  विधान सभा,  लोकसभा  सभी स्तरों  पर प्रतिनिधि  चुने  जाते  हैं।

लोकतंत्र  का  यह  मतलब  नहीं कि  केवल  पांच  साल  के  लिए
प्रतिनिधि  चुना जाय। वस्तुतः लोकतंत्र  में जनता  की   नियमित   भागीदारी  होनी चाहिए। इसीलिए  सहभागी लोकतंत्र  और  विकेंद्रीकृत प्रशासन  दोनों   ही  धारणाएं प्रचलित  हैं। तो  सहभागी लोकतंत्र  एक  ऐसी   व्यवस्था  है  जिसमें   महत्वपूर्ण  निर्णय  लेने के  लिए  समूह   अथवा   समुदाय  के  सभी  सदस्य  एक साथ  भाग  लेते  हैं। 

भारत  में दोनों  ही   प्रणालियाँ   चल  रही हैं। इस  प्रणाली  का  जन्म  भी
उपनिवेशवाद  के  विरोधी   संघर्ष  के  फलस्वरूप  हुआ  है।
स्वतंत्रता  के  बाद  भारत  में लोकतंत्र  सफल   हुआ  है।
(स्वरचित मौलिक)
संदीप कुमार सिंह✍️
जिला:_समस्तीपुर(देवड़ा)
बिहार

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