संदीप कुमार सिंह 22 Jun 2023 गीत प्यार-महोब्बत मेरा यह गीत समाज हित में है। जिसे पढ़कर पाठक गण काफी लाभान्वित होंगें। 4676 0 Hindi :: हिंदी
(दोहा छंद) महफ़िल में वह भी मिली, सुर्ख़ चेहरा ख़ास। नज़र जिगर सूरत बसी,मिटी युगों की प्यास।। खान बात सब अति चली,जुड़ा ह्रदय की तार। साथ रहूं वादा किए, दोनों हुए निसार।। (स्वरचित मौलिक) संदीप कुमार सिंह✍️ जिला:_समस्तीपुर(देवड़ा)बिहार
I am a writer and social worker.Poems are most likeble for me....