संदीप कुमार सिंह 26 May 2023 गीत समाजिक मेरा यह गीत समाज हित में है। जिसे पढ़कर पाठक गण काफी लाभान्वित होंगें। 6278 0 Hindi :: हिंदी
बिन मौसम बरसात हो, लाती है व्यवधान। करे फसल को नष्ट है,होते दुखित किसान।। बिन मौसम बरसात हो,बुरा करे यह यार। करे हानि ही यह सदा,इसका हो प्रतिकार।। बिन मौसम बरसात हो,और हृदय में रार। आफत से हो सामना,धूमिल करे विचार।। बिन मौसम बरसात हो,दिखे अशुभ संकेत। कर लें सभी जुगार अब,रहिए सदा सचेत।। बिन मौसम बरसात हो,और तेज तूफान। अस्त व्यस्त सबको करे,भारी हो नुकसान।। (स्वरचित मौलिक) संदीप कुमार सिंह✍🏼 जिला:_समस्तीपुर(देवड़ा) बिहार
I am a writer and social worker.Poems are most likeble for me....