संदीप कुमार सिंह 25 May 2023 गीत समाजिक मेरा यह गीत समाज हित में है। जिसे पढ़कर पाठक गण काफी लाभान्वित होंगें। 7430 0 Hindi :: हिंदी
धरा वसन्ती हो गई,लहर खुशी की खूब। माँ धनदा स्व आ गई,चढ़े पान फल दूब।। धरा वसन्ती हो गई,घर घर में है हर्ष। पूजा मय आँगन लगे,प्राण करे उत्कर्ष।। धरा वसन्ती हो गई,पंचम तिथि है खास। आई हैं माँ शारदे,सबको है उल्लास।। धरा वसन्ती हो गई,लगती है अरु धाम। खुशियाँ छाई आज है,रुके नहीं अब काम।। धरा वसन्ती हो गई,रौनक मय परिवार। निकले बोली अब मधुर,सबको सबसे प्यार।। (स्वरचित मौलिक) संदीप कुमार सिंह✍🏼 जिला:_समस्तीपुर(देवड़ा) बिहार
I am a writer and social worker.Poems are most likeble for me....