आकाश कुमार यादव 30 Mar 2023 आलेख देश-प्रेम अच्छे दिन अच्छे दिन का दसो दिशा में जश्न था। जब अच्छे दिन आए तो क्या हुआ? 36224 0 Hindi :: हिंदी
सत्य पर खत्म हुई न्यायालयों की स्याहिया! दफ्न हो गई बया से पहले ही गवाहिया!! दसो दिशा में जश्न था चमन के उन्नति का यू! हुआ विकास इस तरह की हो गई तबाहिया!! और लूट लिये लुटेरों ने गुलशन को वाह वाह में! वो अच्छे दिन चले गये अच्छे दिन की चाह में!! आये दिन बहार के तो दिल ही रूठने लगे! आंखों में जो ख्वाब थे वो ख्वाब टूटने लगे!! ख्वाबों की सैलाब में बह गए कुछ इस तरह! कश्ती गई भंवर में और किनारे छूटने लगे!! और बह गये चमन के फूल ख्वाबों के प्रवाह में! सब देखते ही रह गये खड़े खड़े ही राह में!! और लूट लिये लुटेरों ने गुलशन को वाह वाह में! वो अच्छे दिन चले गये अच्छे दिन की चाह में!! नस नस डूबे थे कर्ज में बटती हवा में खैरात थी! धरा पे पाव टीके न थे,की चांद तक की बात थी!! रात के अंधेरे में हों रहा निर्माण था, नि उईर्माण था! हुआ सुबह मुस्किलो का मुस्किल ही निजात थी!! और हर तरफ थी बेड़ियाँ जीवन के निबाह में! हया तनिक नहीं दिखी लुटेरों के निगाह में!! और लूट लिये लुटेरों ने गुलशन को वाह वाह में! वो अच्छे दिन चले गये अच्छे दिन की चाह में!! ✍️।से(आकाश कुमार)