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बने नहीं मजबूर

संदीप कुमार सिंह 05 Jun 2023 गीत समाजिक मेरा यह गीत समाज हित में है। जिसे पढ़कर पाठक गण काफी लाभान्वित होंगें। 6624 0 Hindi :: हिंदी

कुंडालिया छंद
जिनके कच्चे कान है, बिल्कुल है नादान।
खाते धोखा वे सदा, नाश करे वो मान।।
नाश करे वो मान,नहीं बढ़ते वह  आगे।
सदा कोसते भाग्य,दूर सच से वह भागे।।
 कहते कवि संदीप,हाल बद होते इनके।
भरते रहते आह,कान कच्चे हो जिनके।।
🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
दोहा छंद 
जिनके कच्चे कान है, बिल्कुल है नादान।
खाते धोखा वे सदा, नाश करे वो मान।।

जिनके कच्चे कान है,उससे रहिए दूर।
सुनकर उस अफवाह को,बने नहीं मजबूर।।

जिनके कच्चे कान है,बनते सदा शिकार।
क्योंकि सत्य जाने नहीं,खोते हैं अधिकार।।

जिनके कच्चे कान है,व्यर्थ करे वो ज्ञान।
पाए कभी न फायदा,जुड़े नहीं अभियान।।

जिनके कच्चे कान है,समझे कभी न तथ्य।
रहे झूठ में लिप्त वह,कहते कभी न कथ्य।।
(स्वरचित मौलिक)
संदीप कुमार सिंह✍🏼
जिला:_समस्तीपुर(देवड़ा)
बिहार

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