SHAHWAJ KHAN 26 Apr 2023 शायरी प्यार-महोब्बत मोहब्बत, लव, प्रेम, हुस्न, जमाल शायरी 15497 0 Hindi :: हिंदी
न हुस्न देखता हूँ न जमाल देखता हूँ | तुम्हारी नर्गिशी आँखों में कमाल देखता हूँ| झुकी हुई नज़रों को उठाना फिर उठाकर झुकाना मानों जैसे कोई ख्याल देखता हूँ | और होता है तकाबुल जब भी उससे महफिल में उसकी खामोश नजरों में कई सवाल देखता हूँ | और जमाना जब भी कह देता है मुझको आशिक तो अक्सर उसके चेहरे पर मासूमियत का जलाल देखता हूँ | .......शहवाज खान......