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उत्तर भारत और बाढ़ की स्थिति

Anjani pandey (sahab) 20 Jul 2023 आलेख समाजिक उत्तर भारत में बाढ़ और उसका प्रभाव 8472 0 Hindi :: हिंदी

उत्तर भारत और बाढ़ की स्थिति

        हाल ही में हमने देखा की उत्तर भारत में बाढ़ एक समस्या के तौर पर गंभीर स्थिति उतन्न किए हुए है। आखिर में प्रकृति में इतना परिवर्तन कैसे हो रहा? क्या यह किसी बहुत बड़ी घटना का पूरबासूचक है जो इतनी सारी आपदावों को लेकर चली आ रही है, इसी पर एक आलेख को लेकर आना और उत्तर भारत के साथ पूरे भारत में हो रही भूगर्भिक घटनाओं का अध्यन करना हमारी जिम्मेदारी बनती है; सर्वप्रथम हमने देखा की आज से ही भी बल्कि बहुत पहले से ही अपदाएं आती रही है लेकिन गंभीरता की बात तब पैदा होती है जब किसी आपदा का संबंध भूगोलीय घटनाओं के परे घटने लगती है, इसके पीछे कई कारणों की चर्चा की जा सकती है 
जलवायु दसाओ में परिवर्तन : दिन प्रतिदिन हो रहे जलवायु परिवर्तन के कारण बारिश की मात्रा में इजाफा दिखाई देता है जलवायु परिवर्तन कोई एक दिन की घटना का परिणाम ना होकर बल्कि दसको में हो रहे तकनीकी विकास और बढ़ती मानवीय गतिविधियों ने जलवायु परिवर्तन में महत्वपूर्ण दसाओं को जन्म दिया है 
दूसरा सबसे बडा कारण है की पश्चिमी विक्षोभ जो भूमध्यसागर में बनने के कारण उच्च दाब का केंद्र होता ITCZ का गर्मी में नीचे की और खिशकना है और हवाएं उच्च दाब से निम्न दाब की ओर प्रवाहित होती है जिससे भारत में वर्षा होने का स्तर काफी बढ़ जाता है,
हाल में देखा जा रहा है की बादल फटने की कई घटनाएं घट चुकी है जिससे भारी जान माल का नुकसान देखने को मिलता है बादल फटने का सबसे बड़ा कारण है पहाड़ों की अवस्थिति जिससे हवावो का एक पूरी राशि शिवालिक हिमालय, मध्य हिमालय, और महान हिमालय से उपर नही उठ पाती है और उपर उठकर हल्की हो जाती है जिसमे बढ़ते दबाव के कारण एक जगह पर ही भारी मात्रा में बारिश हो जाती है जिसे बदल फटने की घटना के रूप में जाना जाता है;
चकवात और सुनामी का आना, 
कई बार सूनामी और चक्रवात भी भारी जान माल को नुकसान पहुंचाते है जिससे बाढ़ आने की संभावना बहुत बढ़ जाती है 
बाढ़ का प्रभाव; 
बाढ़ कभी कभी जान माल के नुकसान के साथ साथ लाभ का भी कारण बनता है 
नकारात्मक प्रभाव,
बाढ़ के कारण जान माल की भारी छती
यातायात साधनों का रूक जाना 
कृषि में भारी नुकसान
मिट्टी का कटाव होना और उर्वरा शक्ति का ह्रास
सकारात्मक प्रभाव 
पानी के साथ साथ उर्वरक का आना 
जलभराव के कारण मत्श्य उत्पादन में वृद्धि
वाटर लेबल में बढ़ोतरी
बाढ़ को रोकने का उपाय:
नदियों के बेसिन को साफ करके जिससे जलभराव ज्यादा न हो 
नदी के तटबंध को मजबूत करना 
नदी के किनारे वृक्ष को लगाना 
नदी विचलन के लिए नहरों का निर्माण करवाना 
नदी पर छोटे छोटे बांधो का निर्माण करवाना 
नदी के तलहेटी में अवैध कब्जे को हटाना 
बाढ़ आने से पहले पूर्वानुमान करना और बचाव कार्य करना 
भोजन तथा शिविरो का निर्माण 
राहत कार्य और चिकित्सा व्यवस्था बनाए रखना 
उपर्युक्त कार्यों को करने और कुछ दिशा निर्देशों के अनुशार चलने से बाढ़ और उससे उत्पन्न होने वाले खतरा को कम किया जा सकता हैं
    अंजनी पांडेय साहब

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