Samar Singh 27 Jun 2023 गीत दुःखद कालेज के भी क्या दिन थे, आज याद आती है तो आँखों से आँसू छलक जाते हैं। 6737 0 Other :: Other
भूली बिसरी नहीं कहानी मिलेगी, न वो राजा, न वो रानी मिलेगी, बस अधूरी जिंदगानी मिलेगी। कभी सीढ़ियों पे इंतजार चलता था, कभी चाय की चुस्कियों में प्यार पलता था। कभी लाईब्रेरी में बैठा न जाने क्या यार पढ़ता था, क्लास से बाहर पानी पीने को न जाने कौन फरार करता था। पानी न पीया, अब तो आँखों में पानी मिलेगी। बस अधूरी जिंदगानी मिलेगी।। कभी क्लास में बैठा दिल, क्या ढूँढता था खिड़कियों में। गुमसुम सा बैठा क्या देखता था, बाहर किसी की परछाइयों में।। किसको ढूँढता था बेसब्री से, सिलैबस की गहराइयों में। बीते बरस के इन पेपरों में, फंसते रहे प्रश्नों की कठिनाइयों में। अब तो हर सवाल के जवाब अनजानी मिलेगी। बस अधूरी जिंदगानी................।। सभी अब मेरे दोस्त छेड़े हैं, अब तू शायद पढ़ने लगा है। आँखें तेरी लाल सूर्ख है, रात भर तू शायद जगा है। हंसों न मेरी हालत पे यारों, लगता है ऐसा नहीं कोई सगा है। छोड़ते चले जा रहे बीच सफर में, दे रहे सिर्फ क्यों हमको दगा है। मेरे हिस्से में बची, यही दगे की निशानी मिलेगी। बस अधूरी.................।। रचनाकार - समर सिंह " समीर G "