संदीप कुमार सिंह 17 Jul 2023 कविताएँ समाजिक मेरी यह कविता समाज हित में है। जिसे पढ़कर पाठक गण काफी लाभान्वित होंगें। 6039 0 Hindi :: हिंदी
(दोहा छंद) अच्छा तथा खराब भी, खुशियों में कचनार। पानी पानी हो रहा,शहर गांव सब यार।। पानी पानी हो रहा,मानवता का मोल। मौका रहे तलाश में,दुर्जन हैं विश घोल।। (स्वरचित मौलिक) संदीप कुमार सिंह✍️ जिला:_समस्तीपुर(देवड़ा)बिहार
I am a writer and social worker.Poems are most likeble for me....