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प्यार की किरण-जगमगा रही है

संदीप कुमार सिंह 15 Jun 2023 कविताएँ समाजिक प्यार की किरण, जगमग, जग, झिलमिल, स्वार्थ, भावना, तमाम, शैतानी ताकत, नफरत, समाज, भाईचारा, सौगंध 6610 0 Hindi :: हिंदी

प्यार की किरण जगमगा रही है,
जिसके साए में सारा जग झिलमिला रहा है।

बढ़ती हुई स्वार्थ भावना पर,
प्यार की किरण ही रोक लगाएगी।

भटके हुए तमाम राही को राह दिखाएगी,
शैतानी ताकत को अपने जादू से वश में कर लेगी।

प्यार की किरण भाईचारा के लिए आई है,
इस जहां से नफरत को जड़ से ख़त्म कर के ही जायेगी।

आओ भाइयों प्यार की किरण से एक मुलाकात करें,
अपने_अपने समस्याओं का हल ले लें।

सिर्फ और सिर्फ अपने में मत खोएं,
समाज का प्राणी समाज के लिए भी जिएं।

दुनिया में व्याप्त हो रही गंदगी को,
खत्म करने का आज सौगंध लें।

प्यार की किरण को साक्षी मानकर,
दिव्य ऊर्जा का आह्वान करें।
(स्वरचित मौलिक)
संदीप कुमार सिंह✍️
जिला:_समस्तीपुर(देवड़ा)
बिहार

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