मारूफ आलम 30 Mar 2023 ग़ज़ल प्यार-महोब्बत # maroof#gajal#shayari#poetry hindi 40839 0 Hindi :: हिंदी
तूने जो कही थी मन मे वो बात दबी है अबतक दिन के उजालों के पांव तले रात दबी है अबतक अछूतों से मतलब की वो बात तो हंसकर करते हैं कुंठित जहन मे उनके पर जात दबी है अबतक सुना है हज से लौट आया है हाजी बनकर लेकिन उसके हाथों मे गरीबों की खैरात दबी है अबतक इनमे दफन है अभी भी इज्जतो वकार किसी का इन खण्डहरों मे किसी की मात दबी है अबतक महीना सावन का आया है वक़्त पर अपने लेकिन मौसम की बेईमानी से बरसात दबी है अबतक मारूफ आलम