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कृपा है तेरी माँ(वसन्त पंचमी)

Suraj pandit 30 Mar 2023 कविताएँ बाल-साहित्य सरस्वती मां 15152 0 Hindi :: हिंदी

 बालक था मैं उस समय ,
आन्ध्कार मे ढका था जीवन ।
प्रकाश लेश मात्र ना था ,
खो रहा था श्वाशन ।
                     आन्ध्कार मे बैठ ,
                  उजाला कि कल्पना करता ।
                        घन-घौर सी बादल मे ,
                        सोपन देखा करता ।
एक स्नेह जुड़ी विधा से ,
सोपन, उजाला दिखा।
आन्ध्कार सी नगर मे ,
जलता, दीपक देखा। 
               महान है, उसकी दिव्यता ।
             जिसने, कलम कि कहानी बताई।
                     एक स्हािई कि बूंद से ।
                    जीवन मे, संगीत रचाई।
किया कहुँ, उसकी बातें ।
हर पल गाथा गाता हूँ।
उसकी याद से भूखे-प्यासे ,
धरती मे सो जाता हूँ ।
                   ज्ञान, गंगा कि धारा हो, माँ।
                   मैं एक भिख छुक सा।
                   सदा बूंदो कि वर्षा हो,
                   मैं तेरा बालक हूँ माँ।
माघ शुल्क कि पंचमी मे ,
एक नविन रचना कर सका हूँ ।
कृपा है तेरी माँ ,
आपकी उपस्थित को मेहसूस कर सका हूँ।
               
                 ---------------सूरज पंडित

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