संदीप कुमार सिंह 01 May 2023 कविताएँ समाजिक मेरी यह कविता समाजिक हित में है। जिसे पढ़कर पाठक गण काफी लाभान्वित होंगें। 4745 0 Hindi :: हिंदी
जिन्दगी है दोस्तों, इनके कई रूप हैं कई रंग हैं। फिर भी हम मानवों को, संघर्ष पथ पर निरंतर, बखूबी चलते ही रहना है। गम भी मिलेंगे, जख्म भी मिलेंगे, हार भी मिलेंगे, रुकावटें आएंगी बहुत सारी। पर दोस्तों जिन्दगी जीने में मजा है, हारकर_खोकर, फिर से उसे, दोगुने उत्साह से प्राप्त करने में। जिन्दगी जीने में मजा है, जिन्दगी जीने में मजा है। (स्वरचित मौलिक) संदीप कुमार सिंह✍🏼 जिला:_समस्तीपुर(देवड़ा)बिहार एक निजात_निजाद(अलग कविता) बहुत ही सुंदर वातावरण है, देश में अभी इस समय, खुशियों का लहर चल रहा है। सावन और बकरीद की, शुभ समापन हुई है, करोना का डर कम हो गई है। सारी व्यवस्था धीर_धीरे, पुनः अपने_अपने पटरी पर, चलने को तैयार हुई है । अफगानिस्तान में तालिबानों, का कहर फिर भी हिन्दुस्तान, सशक्त और तैयार है। पनाहगार बने हैं_पहले भी थे, ऋषि_मुनियों का अपना देश, अद्भुत चमत्कारों से भरा_पूरा। हिन्दुस्तान देश हमारा, जगत में जिसकी शान है, मान है_मर्यादा है, एक अलग पहचान है, सारे दुश्मन, पड़ोसी मुल्क परेशान है । जय हिंदुस्तान_जय भारत। (स्वरचित मौलिक) संदीप कुमार सिंह✍🏼 जिला:_समस्तीपुर(देवड़ा)बिहार
I am a writer and social worker.Poems are most likeble for me....