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आजादी की मंहगाई-अंग्रेजों की सब सहनी थी आजादी कितनी मंहगी थी

Kalindri pal 27 Oct 2023 कविताएँ देश-प्रेम आजादी 5569 0 Hindi :: हिंदी

अंग्रेजों की सब सहनी थी, 
आजादी कितनी मंहगी थी।
          जरा याद करो उन वीरों को 
           जो देश की खातिर मरते थे,
            देश की आजादी खातिर 
            छुपकर आन्दोलन करते थे ।
वो बच्चे ही थे भगत सिंह 
जो सभा में बमबारी की थी,
जान किसी की नहीं गई
आजादी की चिंगारी की थी।
             हर बच्चे की जुबां पे अब तो
            इंकलाब का नारा था,
            वो बच्चे ही थे जिन्होंने 
            अंग्रेजों को ललकारा था।
बीच रास्ते पे जाकर 
सांडर्स को गोली मारी थी,
देश की आजादी खातिर 
फांसी की सजा सुहानी थी।
            सुखदेव,  भगतसिंह ,राजगुरू की 
              देश में अजब पहेली  थी,
              अंग्रेजों की सब सहनी थी
              आजादी कितनी मंहगी थी।।

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