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आज बनी सबकी आदत है

Rambriksh Bahadurpuri 30 Mar 2023 कविताएँ समाजिक #Rambriksh Bahadurpuri Ambedkar Nagar #Rambriksh Bahadurpuri kavita#Rambriksh Bahadurpuri #Aaj bani sabki aadat hai Kavita 7109 0 Hindi :: हिंदी

कविता आज बनी सबकी आदत है 

गम सहने की,
चुप रहने की,
आज बनी सबकी आदत है!
अश्रु बहने की,
बस डरने की,
भय से रहने की आदत है! 
कब सोचोगे
कुछ करने का,
रखते क्यों हो
भय मरने का,
कायर बनने की आदत है! 
सूरज चंदा
धरा एक है,
मृत्यु सभी का
ना अनेक है,
मर कर मरने की आदत है! 
जीना सीखो
जीवन अपना,
समझो इसको
न एक सपना,
करें गुलामी की आदत है!
समय नही है
पहले जैसा,
जीवन जी लो
चाहे जैसा,
कुछ ना करने की आदत है!
जागो!जागो!
अब तो जागो!
छोड़ो पहले की आदत है!

रचनाकार -रामबृक्ष बहादुरपुरी अम्बेडकरनगर यू पी 

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