Amaresh pratap 30 Mar 2023 आलेख समाजिक बेटी बचाओ 55279 0 Hindi :: हिंदी
जो जन्म से ही बेटियों को भार समझते है़ं अपनी प्रतिष्ठा के लिए दीवार समझते हैं उनको नही मालूम है कुछ भी ऐ मेरे दोस्तों हम ऐसे दिमागों को बीमार समझते हैं। वो लोग मेरी समझ मे अनारी होते हैं औलाद के अपने ही जो व्यापारी होते हैं करते हैं तय सौदा जो शादी के नाम पर इनसे तो ठीक यार भिखारी होते हैं। बेटा ही दो बेटी नही विनती करें भगवान से इस बात पर है प्रश्न मेरा सकल हिन्दुस्तान से बेटे ही बेटे हो गये गर रह गई न बेटियाँ तो बेटो के लिए बहुएँ क्या लाओगे आसमान से।