शशिकांत सिंह 30 Mar 2023 आलेख समाजिक #Social #motivational #people #समाज 17147 0 Hindi :: हिंदी
आज का समाज, भाग चार="बेहोसी" लेखक= शशीकांत सिंह दुनिया की जब शुरुआत हुई थी तो लोगो ने क्रम स: सब चीजों को धीरे धीरे किया, पहले जीवन जीने के लिए भोजन की व्यवस्था की, फिर शरीर ढकने के लिए कपड़े की, फिर रहने के लिए घर की और उन्होंने यह जाना की जीवन जीने के लिए सिर्फ यही तीन चीज़े महत्त्वपूर्ण है, भोजन, वस्त्र, घर समय बदलता गया, लोगो की सोच बदली जनसंख्या बदली गांव बने, गांव से नगर बना देश बना , जैसे जैसे लोग जागरूक होते गए उनमें सबसे ज्यादा दो चीजों ने स्थान बनाया, लालच और हवस ने ! जब जागरूकता बढ़ी तो जमीन जायदाद की लड़ाई शुरु हुई आपस में गांव गांव में देश देश में लोग गुलाम हुए आजाद हुऐ, किंतु सुधरे नही लालच से घिरे ही रहे, और हवस ने भी कही का न छोड़ा, ऐसा भी नही है की पुरी दुनिया या पूरा सामाज ऐसे ही लोगो से भरा पड़ा है क्योंकि इतिहास गवाह है जब हर व्यक्ती गंदा हो जायगा दुनिया तुरंत नष्ट हो जायेगी, और पुनः नई सभ्यता का जन्म होगा, और लगातार यही हो भी रहा लेकिन जब तक एक भी व्यक्ती जो समाज को सही मार्ग पर लाने का प्रयास कर रहा निष्कपट है , शुद्ध और साफ हृदय का है तब तक प्रकृति उसकी वजह से तमाम लोगो को बरदाश्त करने की क्षमता रखती है, किंतु आज के समाज में ज्यादा तर यही देखने को मिल रहा है की पैदा हुऐ, खिलौने के साथ समय नष्ट कर दिया , बड़े हुऐ लालच और हवस के साथ जवानी बिता दी और असंतुष्ट ह्रदय के साथ मौत ने भी उनको अपने पास बुला लिया, उम्र मायने कभी नही रखती, अगर मनुष्य दस वर्ष में समाज को बदलने के लिए कुछ अच्छा करके बैठा रहता है तो वह बहुत ही संतोष के साथ भगवान के पास जाता है, पर कुछ मनुष्य सौ साल बाद भी असंतुष्ट होकर ही जाते हैं क्योंकि उन्होंने कभी कुछ होश में किया ही नहीं वह तो पूरी उम्र "बेहोस" ही रहे!.....!!