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कन्यादान

Sanam kumari Shivani 30 Mar 2023 कविताएँ दुःखद 9549 0 Hindi :: हिंदी

कन्यादान हुआ जब पूरा
आया रस्म बिदाई का
हँसी खुशी सब काम हुआ
सारी रस्म अदाई का

बेटी के उस कोमल स्वर ने
बाबुल को झकझोर दिया
पूछ रही थी पापा तूने
सचमुच मुझको छोड़ दिया

अपनी आंगन की फुलबारी
मुझको सदा कहा तूने
मेरे रोने का पलभर भी
बिलकुल नहीं सहा तूने

क्या इस आंगन के कोने मैं
मेरा कोई स्थान नहीं
अब मेरे रोने का पापा
बिलकुल आपको ध्यान नहीं

देखो अंतिम बार देहरी
लोग हमे पुजवाते हैं
आकर पापा क्यों नहीं
इनको आप धमकाते हैं।

नहीं रोकते चाचा ताऊ
भईया से भी आस नही
ऐसी भी क्या निठोरता हैं
आता कोई पास नही

बेटी की बातो को सुनकर
पापा से न रह सका खड़ा
उमड़ पड़े आंखो से आंसू
बदहवास सा दौर परा

कोमल फूल शी वो बेटी
लिपट पिता से रोती हैं
जैसे यादों के अक्षर
वह आंसू बिंदु से धोती है।

मां को लगा गोद से कोई
मानो सबकुछ छीन चला
फुलबारी की सभी फूल को
माला ज्यों  बीन चला

बेटी के जाने पर घर ने
ना जाने क्या क्या खोया है
कभी न रोने वाला बाप 
फुटफट के रोया हैं।

   By-  सनम कुमारी शिवानी

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