Jyoti yadav 06 Dec 2023 ग़ज़ल दुःखद कहते हैं अधर मेरे अंधेरों से 19997 0 Hindi :: हिंदी
कहते हैं ,अधर मेरे अंधेरों से जरा देर और ठहर जा उतार नकाब चेहरे से सुकून की कुछ बात करूंगी थक जाती हूं उजाले से अश्रु अपने छुपाते छुपाते आज जी भरके आंसुओं से मुलाकात करूंगी यूं तो खूब होती है मुस्कान मेरे होंठों पर पर सब की सब झुठी है किस्मत किस्मत की जो बात करती हूं वो तो सदियों से हमसे रुठी है बस कर रही हूं खुशियों का ड्रामा उजाले के इस रंग मंच पर हां कुछ दिन और साथ करूंगी आज जी भर के आंसुओं से मुलाकात करूंगी सुरज की रौशनी में, आंसू बहाने से डरती हूं कोई जान ना जाए मेरी उदासी को समझ ना ले हमें कमजोर कोई बक बक करती यूं ही हर पल मस्ती मिजाज में वक्त कैसा भी हो मजबूत अपने हालात करूंगी आज़ जी भरके आंसुओं से मुलाकात करूंगी ।। यह अंधेरे बड़े अच्छे है यहां कुछ छुपाना नहीं पड़ता यहां हंसी भी सच्ची और आंसू भी सच्चे है काम में थोड़े कच्चे है पर कम से कम उजाले से तो अच्छे है ज्योति यादव के कलम से ✍️ कोटिसा विक्रमपुर सैदपुर गाजीपुर उत्तर प्रदेश 🙏♥️♥️♥️♥️