Join Us:
20 मई स्पेशल -इंटरनेट पर कविता कहानी और लेख लिखकर पैसे कमाएं - आपके लिए सबसे बढ़िया मौका साहित्य लाइव की वेबसाइट हुई और अधिक बेहतरीन और एडवांस साहित्य लाइव पर किसी भी तकनीकी सहयोग या अन्य समस्याओं के लिए सम्पर्क करें

स्वाभिमान-कुचलकर बार बार स्वाभिमान को मेरे कहते है कि चुप रहना

Meenakshi Tyagi 01 Jul 2023 शायरी अन्य Pooja soni 6285 0 Hindi :: हिंदी

कुचलकर बार बार
                 स्वाभिमान को मेरे 
                 वो कहते है कि 
                  चुप रहना 
     औरत की समझदारी होती है।

Comments & Reviews

Post a comment

Login to post a comment!

Related Articles

मेरे नजर के सामने तुम्हारे जैसे बहुत है यहीं एक तू ही हो , मोहब्बत करने के लिए यह जरूरी तो नहीं read more >>
मीठी-मीठी यादों को दिल मैं बसा लेना जब आऐ हमारी याद रोना मत हँस कर हमें अपने सपनों मैं बुला लेना read more >>
Join Us: