संदीप कुमार सिंह 20 Aug 2023 कविताएँ समाजिक मेरी यह कविता समाज हित में है। जिसे पढ़कर पाठक गण काफी लाभान्वित होंगें। 3963 0 Hindi :: हिंदी
सब अच्छे ही हैं यहां,गुनहगार है कौन। चले ठीक कुछ भी नहीं,करने वाले मौन।। मानव सुविधा के लिए,किए प्रकृति संहार। गुनहगार है कौन अब,जाने यह संसार।। (स्वरचित मौलिक) संदीप कुमार सिंह✍️ जिला:_समस्तीपुर(देवड़ा)बिहार
I am a writer and social worker.Poems are most likeble for me....