virendra kumar dewangan 30 Mar 2023 आलेख बाल-साहित्य Child problem 87691 0 Hindi :: हिंदी
हरियाणा में करनाल जिले के हरसिंहपुरा गांव में पांच साल की मासूम बच्ची 3 नवंबर 2019 को 50 फीट गहरे बोरवेल में गिर गई। वह 3 नवंबर को दोपहर से लापता थी। परिजनों के काफी ढूंढने के बाद जब वह कहीं नहीं मिली, तब उन्हें बोलवेल में गिरने का अंदेशा हुआ। एक रस्सी में मोबाइल बांधकर बोरवेल के नीचे उतारा गया। वीडियो रिकार्डिंग से पता चला कि बच्ची बोरवेल में नीचे फंसी हुई है। 4 नवंबर को बचाव दल ने बमुश्किल उसे बाहर निकाला। तत्काल अस्पताल पहुंचाया गया, जहां डाक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। मप्र. के देवास जिले के खातेगांव ब्लाक के उमरिया गांव में ‘रोशन कोरकू’ नामक 4 साल का बच्चा 33 फीट गहरे खुले बोरवेल में गिर गया था। उसका कसूर इतना था कि वह अपने पिता के साथ खेत गया हुआ था। खेलते-खेलते 9 इंच चैड़े मौत के गड्ढे में समा गया था। वह 27 घंटे तक जिंदगी की जंग लड़ता रहा। बार-बार रोता रहा। रेस्क्यू टीम लगातार उससे संपर्क में थी कि बच्चा सोए नहीं। उसके सोने से उसका सिर लटक सकता था। आखिरकार, 27 घंटे के बाद मौत को मात देकर सेना की मदद से वह बाहर निकल आया। रोशन का तकदीर बुलंद था, जो मौत को मात दे गया, लेकिन ‘शिवानी’ जिंदगी की जंग हार गई। एक और मासूम बालिका लापरवाह परिवार व समाज की अनदेखी की शिकार हो गई। यह कैसी विडंबना है कि मासूम बच्चे बड़ों की आपराधिक लापरवाही का अंजाम भुगत रहे हैं। इसी तरह के अंधकूपों में गिरकर और फंसकर अब तक सैकड़ों बच्चों की जानें जा चुकी हैं। यह हर साल का हादसा है। बावजूद इसके न शासन, न प्रशासन, न स्थानीय शासन और न ही मौत का कुंआ खुला छोड़ देनेवाले शैतानों की बेहोशी टूटा करती है। जबकि इस बाबत् सुप्रीम कोर्ट के स्टैंडिंग दिशानिर्देश हैं कि कुएं असफल होने पर उसको मजबूती के साथ ढं़क दिया जाना चाहिए। इसके लिए कलेक्टर और ग्राम पंचायत को जिम्मेेदार बनाया गया है। सवाल यह कि आखिर एक-अकेला कलेक्टर कौन-कौन सी जिम्मेदारी निभाए। लिहाजा, उसने अपनी जिम्मेदारी एसडीएम व तहसीलदार व लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग को हस्तांतरित कर रखा है। तहसीलदार ने भी इस जवाबदेही को ग्राम कोटवार तक हस्तांतरित कर दिया है। लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग ने हैंडपंप मैकेनिक तक जिम्मेदारी का बंटवारा कर दिया है। इसी तरह ग्राम पंचायत में सरपंच, पंच, सचिव सभी जिम्मेदार बनाए गए हैं। परंतु, सवाल यही कि किसी पर कोई कार्रवाई नहीं होती है। न बोरवेल खुदाई करवानेवाले जमीन मालिकों पर, न गैरजिम्मेदारी निभानेवाले पदधारियों पर। इसके लिए बोरवेल के मालिकों पर हत्या का मुकदमा चलाया जाना चाहिए। बच्चा बच जाए, तो सारे हर्जे खर्चे जुर्माना सहित वसूला जाना चाहिए। तभी लापरवाह मालिकों को होश आएगा और वे बोरवेल असफल होने पर उसे मजबूती से बंद करने का काम जिम्मेदारीपूर्वक कर सकेंगे। ‘रोशन’ के मामले में कलेक्टर, एसपी, विधायक और सेना बधाई के पात्र हैं, जिन्होंने मासूम बच्चे को बचाने में अपना जी जान लगा दिया। ऐसे मामले देश-प्रदेश के किसी गांव-क्षेत्र में भी हो सकते हैं। इन मामलों में गैरजिम्मेदार लोगों को कड़ी-से-कड़ी सजा देने की दरकार है। इससे यह दावा पुख्ता होता है कि सेना का काम देश के दुश्मनों से सिर्फ लोहा लेना नहीं है, वरन शांतिकाल में भी आपदा प्रबंधन व जानमाल की रक्षा करना है, जिसपर वे खरे उतरे हैं। --00-- अनुरोध है कि लेखक के द्वारा वृहद पाकेट नावेल ‘पंचायतः एक प्राथमिक पाठशाला’ लिखा जा रहा है, जिसको गूगल क्रोम, प्ले स्टोर के माध्यम से writer.pocketnovel.com पर ‘‘पंचायतः एक प्राथमिक पाठशाला veerendra kumar dewangan से सर्च कर और पाकेट नावेल के चेप्टरों को प्रतिदिन पढ़कर उपन्यास का आनंद उठाया जा सकता है तथा लाईक, कमेंट व शेयर किया जा सकता है। आपकी प्रतिक्रियाओं की प्रतीक्षा रहेगी। --00--