मोती लाल साहु 16 May 2023 शायरी समाजिक हरियाली ही कुदरत थी, रिश्तों से भरी थी- यूं चले गए परिंदे सभी- यूं पेड़ सुख चले थे। 5950 0 Hindi :: हिंदी
हरियाली ही कुदरत थी, रिश्तों से भरी थी। यूं चले गए परिंदे सभी, यूं पेड़ सुख चले।। -मोती
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