संदीप कुमार सिंह 13 Jul 2023 कविताएँ समाजिक मेरी यह कविता समाज हित में है। जिसे पढ़कर पाठक गण काफी रोमांचित होंगें। 8618 0 Hindi :: हिंदी
(मुक्तक छंद) अपने जज्बातों को मैं यहां अंकित कर रहा हूं। मोती जैसे अल्फाजों से दास्तान लिख रहा हूं। जिन्दगी सु:ख_दुःख का एक अद्भुत संगम है_ इसे हर हाल में खुशियों के रंग से रंग रहा हूं। (स्वरचित मौलिक) संदीप कुमार सिंह✍🏼 जिला:_समस्तीपुर(देवड़ा)बिहार
I am a writer and social worker.Poems are most likeble for me....